गुर्दे की फतरी को पिघलाने क उपचार

आयुर्वेद में पथरी (किडनी स्टोन) के इलाज के लिए कई प्रकार के उपाय दिए गए हैं। ये उपाय पथरी को पिघलाने में मदद करते हैं और शरीर को सही तरह से डिटॉक्सिफाई करने में मदद करते हैं। यहां कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपाय हैं:
- आहार परिवर्तन:
- पथरी के रोगियों को पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए ताकि मूत्र पतला रहे और पथरीयों के आवचेतन होने की संभावना कम हो।
- तरल पदार्थ जैसे नींबू का रस, कोकम का रस, मोसम्बी का रस, तरबूज का रस, पोमेग्रेनेट का रस आदि पथरी के रोगियों के लिए लाभदायक होते हैं।
- ऑक्सलेट युक्त भोजन जैसे टमाटर, पालक, भिंडी, चुकंदर आदि से बचें।
- प्रोटीन और कैल्शियम युक्त भोजन में संतुलित मात्रा में होना चाहिए।
- जड़ी बूटियाँ:
- पथरी के इलाज में कई जड़ी बूटियाँ प्रयोग की जाती हैं जैसे कि गोक्षुरादि गुग्गुल, पुनर्नवादि गुग्गुलू, चंद्रप्रभा वटी, पशनभेद, गोक्षुरा, वरुणादि क्वाथ आदि।
- ये जड़ी बूटियाँ पथरी को पिघलाने में और मूत्र मार्ग को साफ करने में मदद करती हैं।
- आयुर्वेदिक योग:
- आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा बताई गई किसी भी विशेष दवा का सेवन करने से पथरी के लक्षण कम हो सकते हैं और पथरी पिघल कर बाहर निकल जाती है।
- आयुर्वेदिक वैद्यों से परामर्श करके किसी भी दवा का सेवन करना उचित है।
- पंचकर्म थेरेपी:
- पंचकर्म चिकित्सा में विरेचन (थेरेप्यूटिक पर्गेशन) और बस्ति (मेडिकेटेड एनिमा) प्रमुख रूप से प्रयोग किया जाता है। ये शरीर को शुद्ध करके विकृत दोष को दूर करने में मदद करते हैं।
- जीवनशैली में परिवर्तन:
- योग और प्राणायाम का अभ्यास करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
- व्यायाम और नियमित शारीरिक गतिविधियों को भी महत्व दिया जाता है।
किसी भी प्रकार के आयुर्वेदिक उपचार से पहले वैद्य की सलाह लेना महत्वपूर्ण है